IndiGo की फ्लाइट्स बार-बार क्यों हो रही हैं कैंसिल और डिले? पायलट-स्टाफ की कमी के पीछे असली कहानी क्या है?

भारत की सबसे बड़ी और भरोसेमंद एयरलाइनों में से एक, IndiGo, इन दिनों बड़ी ऑपरेशनल गड़बड़ी से गुजर रही है। पिछले कुछ दिनों में एयरलाइन ने सैकड़ों फ्लाइट्स या तो रद्द कर दी हैं या कई घंटों तक विलंबित किया है। नतीजा? हज़ारों यात्री परेशान—किसी की मीटिंग छूटी, किसी की छुट्टियां खराब हुईं, और कई लोग एयरपोर्ट की लंबी कतारों में फंसे रहे।
लेकिन असल में IndiGo के अंदर चल क्या रहा है? यह स्टाफ की कमी कैसे हुई? और आने वाले दिनों में यात्रियों को इससे क्या उम्मीद रखनी चाहिए? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
अचानक फैली अव्यवस्था
IndiGo अपनी समयपालन के लिए जानी जाती है। एयरलाइन ने “on time, every time” की पहचान पर ही अपनी बड़ी छवि बनाई है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में तस्वीर पूरी तरह उलट गई। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में सैंकड़ों यात्रियों ने फ्लाइट कैंसिल और भारी देरी की शिकायतें की हैं।
मौसम या टेक्निकल दिक्कतों के कारण फ्लाइट्स कभी-कभी प्रभावित होती हैं, लेकिन इस बार वजह अलग है—पायलट और क्रू की गंभीर कमी।
आखिर पायलट-स्टाफ की कमी क्यों हुई?
एविएशन इंडस्ट्री एक चेन की तरह काम करती है—एक कड़ी टूटे तो पूरा सिस्टम हिल जाता है।
1. अचानक बढ़ी छुट्टियों की मांग
सूत्रों के मुताबिक, बड़ी संख्या में पायलट—खासकर A320 और A321 फ्लीट के—इकठ्ठा छुट्टियों पर चले गए। कुछ reportedly नई एयरलाइनों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुए, तो कुछ प्रमोशन की तैयारी के लिए छुट्टी पर गए। जब इतने पायलट एक साथ unavailable हो जाएं, तो बड़े से बड़ा एयरलाइन भी शेड्यूल संभाल नहीं पाता।
2. ज्यादा वर्कलोड और थकान
दुनियाभर में पायलट लंबे घंटे और थकान को लेकर चिंताएं जताते रहे हैं। भारत में भी पायलट वेलबीइंग पर चर्चा बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा स्टाफ क्रंच का एक कारण बढ़ता असंतोष और वर्कलोड भी हो सकता है, हालांकि IndiGo ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
3. तेज़ी से विस्तार, लेकिन धीमी भर्ती
IndiGo तेजी से अपने रूट्स और फ्लीट बढ़ा रही है। नए विमान, नई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें—सब कुछ तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन पायलटों की भर्ती और ट्रेनिंग धीमी होती है। एक नए कैप्टन की ट्रेनिंग में महीनों से लेकर एक साल तक लग सकता है। ऐसे में एक्सपेंशन अगर भर्ती से तेज़ हो जाए, तो स्टाफ की कमी होना तय है।
इसका असर यात्रियों पर कैसे पड़ रहा है?
यात्रियों के लिए पिछले कुछ दिन बेहद मुश्किल रहे हैं। अचानक फ्लाइट कैंसिल होने पर पूरे प्लान बदलने पड़ते हैं। 3 से 8 घंटे की देरी ने एयरपोर्ट्स को और भीड़भाड़ वाला बना दिया है।
यात्रियों ने कई समस्याएं बताई हैं:
-
आखिरी वक्त में कैंसिलेशन
-
घंटों की देरी
-
एयरपोर्ट काउंटरों पर भारी भीड़
-
कस्टमर केयर तक पहुंचने में दिक्कत
-
मांग बढ़ने से दूसरी एयरलाइनों के किराए आसमान पर
बच्चों के साथ सफर करने वाले परिवार, बुजुर्ग यात्री और बिज़नेस ट्रैवलर्स पर इसका ज़्यादा असर पड़ा है।
IndiGo ने क्या कहा है?
IndiGo ने disruptions की बात स्वीकार की है, लेकिन पायलट-स्टाफ की कमी को इसकी वजह नहीं बताया है। एयरलाइन का कहना है कि वह “यात्रियों को कम से कम असुविधा हो” इसके लिए कदम उठा रही है। हालांकि यात्रियों का कहना है कि ग्राउंड पर स्थिति उतनी आसान नहीं है।
अधिकतर एयरलाइंस स्टाफ की कमी को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने में हिचकती हैं, क्योंकि इससे यात्रियों में घबराहट हो सकती है। बावजूद इसके, एविएशन अथॉरिटीज हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
अभी यात्रियों को क्या करना चाहिए?
अगर आप आने वाले दिनों में यात्रा करने वाले हैं, तो ये टिप्स काम आएंगे:
1. फ्लाइट स्टेटस बार-बार चेक करें
एयरलाइन के मैसेज का इंतजार न करें। IndiGo की ऐप या वेबसाइट पर फ्लाइट स्टेटस चेक करते रहें।
2. एयरपोर्ट जल्दी पहुंचें
रीबुकिंग की कोशिश में काउंटर पर भीड़ अधिक है। जल्दी पहुंचना बेहतर रहेगा।
3. बैकअप प्लान रखें
अगर फ्लाइट कैंसिल हो जाए, तो आपको दूसरी एयरलाइन लेनी पड़ सकती है। पहले से विकल्प देख लें।
4. शांत रहें
एयरलाइन स्टाफ पर काम का दबाव बहुत है। शांत रहना आपकी मदद को आसान बना सकता है।
5. रिफंड या कम्पनसेशन लें
फ्लाइट कैंसिल होने पर आपको फुल रिफंड या मुफ्त रीबुकिंग का हक है। बेझिझक मांगें।
क्या यह संकट अस्थायी है?
ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि यह हालात कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाएंगे। एयरलाइंस लंबे समय तक इस तरह की अव्यवस्था झेल नहीं सकतीं—न यात्री इसे सहेंगे, न कंपनी आर्थिक नुकसान उठा सकती है।
लेकिन यह घटना कुछ बड़े सवाल जरूर छोड़ जाती है:
-
क्या एयरलाइंस पायलटों पर बहुत ज्यादा दबाव डाल रही हैं?
-
क्या इंडस्ट्री भविष्य के एक्सपेंशन के लिए तैयार है?
-
क्या हायरिंग भारत की बढ़ती एयर ट्रैवल डिमांड के मुकाबले बहुत धीमी है?
भारत की एविएशन मार्केट तेज़ी से बढ़ रही है, और अगर भर्ती और वेलबीइंग पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ऐसे संकट बार-बार सामने आ सकते हैं।
आखिर में
IndiGo की यह स्थिति याद दिलाती है कि बड़ी से बड़ी कंपनियां भी अचानक चुनौतियों का सामना कर सकती हैं। फिलहाल यात्रियों के लिए परेशानी का समय है, लेकिन उम्मीद है कि स्टाफिंग स्थिर होते ही उड़ानें सामान्य हो जाएंगी।
एयर ट्रैवल एक जटिल सिस्टम है, और यह उन लोगों पर निर्भर करता है जो इसे चलाते हैं। जब वही लोग कम हो जाएं या थक जाएं, तो पूरा सिस्टम लड़खड़ा जाता है।
अभी के लिए, यात्रियों को बस थोड़ा सतर्क रहना होगा, प्लान सोच-समझकर बनाने होंगे, और उम्मीद करनी होगी कि आसमान बहुत जल्द फिर से साफ हो जाएगा।
एक टिप्पणी भेजें